मोटे अनाज, जो रखते हैं आपका ख़्याल

हज़ारों साल से भारत में मोटे अनाज उगाने और उन्हें खानपान में शामिल करने का चलन रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से इनकी जगह बाज़ार के चटपटे खाद्य पदार्थों ने ले ली है, जिसका हर्ज़ाना हमें और हमारी सेहत को भुगतना पड़ रहा है. इन मोटे अनाजों में मुख्य तौर से बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी (मड़ुआ), सांवा, कोदो, कंगनी, कुटकी और जौ शामिल हैं, जो हर लिहाज़ से हमारी सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं. 1960 के दशक में हरित क्रांति के नाम पर हमने इनकी जगह गेहूं व चावल को दे दिया. लेकिन दुनिया अब इन्हीं मोटे अनाजों की तरफ़ एक बार फिर लौट रही है और बाज़ार में इन्हें सुपर फ़ूड का दर्जा दिया गया है. आइए जानते हैं कि ये मोटे अनाज हमारी सेहत को कितना फ़ायदा पहुंचाते हैं. सभी मोटे अनाजों में कैल्शियम, फ़ाइबर, विटामिन्स, आयरन और प्रोटीन की मात्रा होती है, जो हमारे भोजन को पौष्टिक बनाते हैं.

प्रोटीन से भरपूर बाजरा हमारी हड्डियों को मज़बूत बनाता है. फ़ाइबर की अधिकता के कारण यह पाचनक्रिया में सहायक होता है और वज़न कम करने में भी मदद मिलती है. इसमें मौजूद कैरोटीन हमारी आंखों के लिए फ़ायदेमंद होता है. इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की भी अच्छी मात्रा होती है, जो नींद लाने और पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करते हैं. यह कैंसररोधी भी है व ख़राब कोलेस्टेरॉल के लेवल को रोकने में मदद करता है. अफ्रीका मूल के इस अनाज में अमीनो एसिड, कैल्शियम, ज़िंक, आयरन, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, पोटैशियम और विटामिन बी 6, सी, ई जैसे कई विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है. प्रति 100 ग्राम बाजरे में लगभग 11.6 ग्राम प्रोटीन, 67.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 132 मिलीग्राम कैरोटीन पाया जाता है. बाजरे की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इसके सेवन से कैंसर वाले टॉक्सिन नहीं बनते हैं.