किसानों को सुगंधित और औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती के तरीके बताए
धमतरी | जिले के प्रगतिशील किसानों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन टिंबर भवन में शुक्रवार सुबह 11 बजे किया गया। इस दौरान उन्हें सुगंधित और औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती के तरीके बताए गए। कार्यशाला में पहुंचे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाॅ. वायके देवांगन ने कहा कि जिले का लघु वनोपज बाजार एशिया का सबसे बड़ा बाजार है। किसान इनकी खेती को अपनाएं, तो उन्हें परंपरागत फसलों की अपेक्षा कई गुना अधिक फायदा हो सकता है।
इससे पहले कार्यशाला का शुभारंभ कलेक्टर डाॅ. सीआर प्रसन्ना के मुख्य आतिथ्य में हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप किसानों की आय को दुगुना करने का प्रयास जिले में किया जा रहा है। इसके तहत धान फसल के विकल्प के रूप में दलहन, तिलहन और अन्य फसलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं जिले के जंगलों में प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती को भी प्रोत्साहित करने की योजना है। इससे किसानों की आय में निश्चित रूप से वृद्धि होगी, क्योंकि इन अकाष्ठीय लघु वनोपज काे बाजार में अच्छा-खासा दाम मिलता है। किसान इसका लाभ उठाते हुए परंपरागत फसलों की खेती के साथ-साथ सुगंधित और औषधीय पौधों की भी व्यावसायिक तौर पर खेती करें। कार्यशाला में वन विभाग, उद्यानिकी विभाग कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों समेत जिले के कृषक उत्पादन संगठन के सदस्य एवं किसान बड़ी संख्या में मौजूद थे।
कार्यशाला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाॅ. वायके देवांगन व डाॅ. केआर साहू ने किसानों को औषधीय पौधों की वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि किसान परंपरागत फसलों के साथ औषधीय पौधों की भी व्यावसायिक खेती कर सकते हैं। जिले में एलोवेरा, चिरायता, सर्पगंधा, अश्वगंधा, लेमनग्रास, पथरचट्टा, लाख, आंवला जैसे औषधीय वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इसकी खेती की जा सकती है। कार्यशाला में औषधीय पौधों की खेती के उन्नत तरीके और प्रसंस्करण के बारे में वैज्ञानिकों ने विस्तारी से जानकारी देकर किसानों की शंकाओं का समाधान भी किया।
वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने प्रगतिशील किसानों को दिया औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण।