जायद में मक्का की खेती
भूमि की चुनाव
मक्का की खेती के लिए पर्याप्त जीवांश वाली दोमट भूमि अच्छी होती है। भली-भांति समतल एवं अच्छी जल धारण शक्ति वाली भूमि मक्का की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
भूमि की तैयारी
पलेवा करने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से 10-12 सेमी. गहरी एक जुताई तथा उसके बाद कल्टीवेटर या देशी हल से दो-तीन जुताइयां करके पाटा लगाकर खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए।
शिशु मक्का के लिए जीरा निकलते ही उन्हें तोड़ देना चाहिए। इससे शिशु भुट्टे अधिक निकलते है।
बुवाई का समय
मक्का की बुवाई के लिए फरवरी का प्रथम सप्ताह सर्वोत्तम है। बुवाई 20 फरवरी तक अवश्य कर लेना चाहिए। विलम्ब करने से जीरा निकलते समय गर्म हवायें चलने पर सिल्क तथा पराग कणों के सूखने की सम्भावना रहती है जिससे दाना नहीं पड़ता है।
बीज दर
20-25 किग्रा. संकुल एवं 18-20 किग्रा. संकर बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम रसायन से प्रति किलो बीज को शोधित करके बोयें।
बुवाई की विधि
मक्का की बुवाई हल के पीछे उठे हुये बेड पर लाइनों में करें। संकर व संकुल प्रजातियों की बुवाई 60 सेमी. की दूरी पर करनी चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी. रखनी चाहिए। मीठी मक्का की बुवाई अन्य प्रजातियों से लगभग 400 मीटर की दूरी पर करना चाहिए।