सफेद मक्खी का नियंत्रण कैसे किया जाता है

किसान भाइयो सफेद मक्खी कीट दलहनी, तिलहनी और सब्जी वाली फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है और  पूरे देश में देखा जाए तो सबसे ज्यादा किसान इस कीट से परेशान रहते हैं। यदि आप के खेत में इस मक्खी का असर दिखाई दे रहा है तो आप इसकी पहचान कैसे करेंगे? तो आपको बताते हैं सफेद मक्खी कीट का एक वयस्क की एक से डेढ़ मीटर लंबा होता है। इसका शरीर सफेद पंख से ढका हुआ होता है। सफेद पंख के ऊपर मोमी चूर्ण से ढका हुआ मालूम पड़ता है। किसान भाइयों ज्यादा नत्रजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग या अत्यधिक खरपतवार वाले खेत या घनी फसल सफेद मक्खी कीट के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करते हैं। दलहनी तिलहनी और सब्जी वाली फसलों में यह कीट विषाणु रोग को फैलाता है। फसल पर कीट प्रकोप का पहला लक्षण नत्रजन युक्त उर्वरकों की कमी के लक्षण के रूप में दिखाई देता है।
सफेद मक्खी कीट के प्रबंधन के लिए हम बोनी के समय रोग प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करें। और संतुलित उर्वरकों के उपयोग और संतुलित पौध संख्या का उपयोग करें। सब्जी वाली फसलों में रोपनी में रस चूसक कीट के प्रबंधन के लिए मच्छरदानी का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा खेत में चिपकने वाले पीले प्रपंच एवं फसल प्रपंच भी आप लगा सकते हैं। रोग ग्रस्त पौधों को जितनी जल्दी हो सके नष्ट कर देना चाहिए। रस चूसक कीट  के प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड ढाई सौ मिलीलीटर दवाई 500 लीटर पानी में 1 हेक्टेयर के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसका घोल बनाकर आप छिड़काव कर सकते हैं या फिर 750 सौ मिलीलीटर दवाई 500 लीटर पानी में उपयोग कर सकते हैं।
साभार
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर
कृषि विज्ञान केंद्र बेतूल मध्य प्रदेश